October 3, 2023

शनि दोष दूर करने के लिए आज करें मां कालरात्रि की साधना

मां दुर्गा सप्तम स्वरुप को कहते हैं कालरात्रि । नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के इसी स्वरुप की पूजा करते है। घने अंधकार के समान काला रंग होने के कारण इन्हें कालरात्रि कहा गया। आज के दिन साधक का मन ‘ सहस्त्रार’ चक्र में स्थित होता है। इस दिन से ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियों सिद्धियों का द्वार खुला होता है। जो साधक विधिपूर्वक माता की उपासना करता है उसे यह सिद्धियां प्राप्त होती है। मां कालरात्रि के तीन नेत्र है और तीनों ही गोल है। इनका रूप अत्यंत भयानक है एवं बाल बिखरे हुए हैं।

प्रचीनतम् कथा के अनुसार एक बार चण्ड-मुंड और रक्तबीज नाम राक्षसों ने भूलोक पर हाहाकार मचा दिया था तब देवी दुर्गा ने चण्ड – मुंड का संहार किया परन्तु जैसे ही उन्होंने रक्तबीज का संहार किया तब उसका रक्त जमीन पर गिरते ही हज़ारों रक्तबीज उतपन्न हो गए। तब रक्तबीज के आतंक को समाप्त करने हेतु मां दुर्गा ने लिया था मां कालरात्रि का स्वरुप | मां कालरात्रि काल की देवी हैं। मां दुर्गा यह स्वरुप बहुत ही डरावना है।

मां काली का ज्योतिष से सम्बन्ध

महा काली हैं काल की देवी और शनि देव भी कालपुरुष है अर्थात् यदि जातकों की कुंडली में शनि ग्रह से सम्बंधित यदि कोई भी परेशानी है तो महा काली की विधिपूर्वक की गयी पूजा शनि को सकारात्मक रूप से बलिष्ठ करती है। शनि जो की दंडाधिकारी हैं महा काली की पूजा द्वारा उनके नकारात्मक प्रभाव को काम किया जा सकता है।

आज इस पूजा से होगा विशेष लाभ जिन लोगों को सकारण मृत्यु भय सताता हो या फिर कुंडली में मार्केश लगा हुआ हो, उन्हें अपनी या अपने सम्बन्धी के लम्बे जीवन के लिए यह उपाय करना चाहिए। मां कालरात्रि की पूजा लाल सिन्दूर व ग्यारह कौड़ियों से सुबह प्रथम पहर में करनी चाहिए। ऐसा करने से मृत्यु का भय जाता रहेगा।

पूजा विधि

नवरात्रि के सप्तम दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से साधक के समस्त शत्रुओं का नाश होता है। हमे माता की पूजा पूर्णतयाः नियमानुसार शुद्ध होकर एकाग्र मन से की जानी चाहिए। माता काली को गुड़हल का पुष्प अर्पित करना चाहिए। कलश पूजन करने के उपरांत माता के समक्ष दीपक जलाकर रोली, अक्षत से तिलक कर पूजन करना चाहिए और मां काली का ध्यान कर वंदना श्लोक का उच्चारण करना चाहिए। तत्पश्चात मां का स्त्रोत पाठ करना चाहिए। पाठ समापन के पश्चात माता जो गुड़ का भोग लगा लगाना चाहिए। तथा ब्राह्मण को गुड़ दान करना चाहिए।

ध्यान मंत्र

ही करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्। कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम ॥ दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्। अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम ॥ महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम् ॥ सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्। एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

स्तोत्र पाठ

कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती । कालमाता कलिदर्पनी कमदीश कुपान्विता ॥ कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी । कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी ॥ क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्रवर्णेन कालकण्टकघातिनी । कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा ॥

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