प्रांतीय मेला नौचंदी पटेल मंडप मे हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा नवरत्न कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

आज दिनांक 6/6/2023 को प्रांतीय मेला नौचंदी पटेल मंडप मे हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा नवरत्न कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ कैंट विधायक अमित अग्रवाल जी ने फीता काटकर किया। सरस्वती मां के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित वरिष्ठ कवि डॉ.हरिओम पंवार जी, आई.आई.एम.टी. मयंक अग्रवाल जी ने किया। कार्यक्रम के संयोजक सौरभ जैन सुमन ने सभी अतिथियों का फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डॉ.हरिओम पंवार जी एंव संचालन सौरभ जैन सुमन एंव डॉ.प्रतीक गुप्ता ने किया। कार्यक्रम मे सर्वप्रथम अनामिका जैन अम्बर ने मां शारदे की वंदना की।
सौरभ जैन सुमन ने ” *लव जिहाद पर:*
राष्ट्रभक्ति के पृष्ठों से तुम नाम भले हटवा देना
मेरे जिस्म के टुकड़े चीलों कव्वों को बटवा देना
में कहता हूं एक बार दिल्ली भी दे दो योगी को
लवजिहाद यदि बचे तो मुझको इंचों में कटवा देना “
कवित्री निधि जैन ने “निधि”नाम से मिले खजाना,ऐसा तो कभी नहीं होगा
चमक स्वर्ण की तुम्हें चाहिए,तो तपना तो होगा “
कवि प्रियाशु तिवारी ने ” उसी की धार के संग में, प्रवाहित हो नहीं पाए
हमें उसमे में समाना था, समाहित हो नहीं पाए
की जिसके नाम का धागा कभी बांधा था मंदिर में
उसी लड़की के संग में हम विवाहित हो नहीं पाए “
कवित्री निधी गुप्ता ने ” मै इश्क के दयार मे कब इंतेखाब थी, मुझको तेरी निग़ाह ने अव्वल बना दिया “
“हजारों पीढ़ियों की रंजिशों का है असर शायद, नई पीढ़ी नये रिश्ते बनाने से हिचकती है “
डॉ अरुण पांडेय आशीष ने ” फ़लक पे लाख तारें हों, सितारा एक होता है, नज़र तो बांध दे ऐसा नज़ारा एक होता है, गाथाएँ फरिश्ते भी सुनाके गर्व करते हों, लालों का लाल लाखों मे, भगत सिंह एक होता है “
कवि मुन्ना बैट्री ने “रीति रिवाज ओर संस्कृति से जो तेरी निगाहे ना हटती
तो तेरे परिवार की इज्जत भी यू समाज मे ना घटती
अरे आफताब की जगह अगर माँ बाप पर भरोसा किया होता
तो श्रद्धा तुम्हारी लाश भी यू 36 टुकड़ो में ना कटती “
मोहन मुंतज़िर ने ” प्यार करो धरती से,आज़ाद बनो, अशफाक बनो, लेलाओं के चक्कर मे, मजनू बनने से क्या होगा “
गौरव चौहान ने ” भक्त हो तो तुम्हें भगवान दिखाई देंगे
सारे कष्टों के समाधान दिखाई देंगे
मंदिरों में ना सही सरहदों पे जाओ तो
तुमको हर फौजी में हनुमान दिखाई देंगे “
अमन अक्षर ने ” अलग होते हुए कोई अलग इतना नहीं दिखता,
मगर ऊंचाइयों से नींव का हिस्सा नहीं दिखता,
उन्हीं आंखों को चश्मे की कहीं ज्यादा ज़रूरत है,
जिन्हें मां बाप का टूटा हुआ चश्मा नहीं दिखता “
डॉ.अनामिका जैन अम्बर ने ” झूम रही है ज्ञानवापी, खुश हैं अपने नंदी बाबा, काहे के यूपी मे बाबा हैं यूपी मे बाबा”
” किसी से मांग कर अपना गुज़ारा हम नही करते, निभाते हैं सभी वादे किनारा हम नही करते, खुदा ने जो दिया है रूप ये उसका ही जादू है, लड़के खुद बहकते है इशारा हम नही करते “
“ख़ुद की खातिर जीते थे अब देश पे मरना सीख गये,
मझधारों में कफ़न बांधकर लोग उतरना सीख गये,
कल तक जुगनू तक भी हमको धमका देते थे पर अब,
हम सूरज से आँख मिलाकर बातें करना सीख गये “
इस दौरान नौचंदी संचालन समिति के सदस्यगण नरेन्द्र राष्ट्रवादी, संजय जैन, प्रतीश ठाकुर,नासिर सैफी, सरबजीत कपूर, संजय शर्मा, राकेश गौड़ आदि उपस्थित रहे।